प्रधानमंत्री मोदी के उज्जैन आगमन की राह में “टाटा” का रोड़ा ?

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में यूं तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आगमन होता है, वर्तमान में महाकाल कोरिडोर का कार्यक्रम बड़े पैमाने पर युद्ध स्तर पर चल रहा है, जिसका लोकार्पण कार्यक्रम तय तिथि पर आयोजित होना है। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन आएंगे। पूर्व में नगर निगम चुनाव और बारिश के मद्देनजर आगमन टल गया वही कार्य पूर्ण नहीं हो पाए थे ,अब उज्जैन स्मार्ट सिटी ,नगर निगम ,विकास प्राधिकरण और तमाम निर्माण एजेंसियों के माध्यम से महाकाल कॉरिडोर के कार्य लगभग पूर्णता की ओर है, बावजूद इसके शहर में जो सीवरेज प्रोजेक्ट चल रहा है ,ऐसे में टाटा कंपनी द्वारा शहर की 35 सड़कों की,गली मोहल्लो की बेतरतीब खुदाई कर रखी है ,वही महाकाल क्षेत्र में भी टाटा का काम अधूरा है, रूद्र सागर से लेकर गोवर्धन सागर तक उज्जैन उत्तर के कई कार्य लंबित है, जिसका टाटा कंपनी ने लापरवाही करते हुए गंभीरता नहीं बरती, यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कार्यक्रम पर अभी मुहर नहीं लग पाई है ,ऐसे में एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी ने मंगलवार को अपना त्रिनेत्र खोल दिया और कंसल्टेंट कंपनी से लेकर टाटा कंपनी और नगर निगम के अधिकारियों को जमकर लताड़ा,, टाटा के अधिकारियों ,कंसलटेंट कम्पनी ,नगर निगम अधिकारियों की जमकर  क्लास जब ली तो सभी जिम्मेदार बगले झांकने लगे कोई भी ठीक तरीके से जवाब नहीं दे पाया सब एक दूसरे पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ते रहे। श्री तिवारी ने कहा कि कलेक्टर आशीष सिंह  शिद्दत से धार्मिक राजधानी को शिखर पर ले जाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं तो टाटा के जिम्मेदार क्यों संस्था का नाम खराब कर रहै है वहीं करोड़ों रुपए की राशि ले रहा है और कार्य पूर्ण नहीं कर पा रहा है.. उज्जैन में टाटा कंपनी की बेतरतीब सड़क खुदाई, कार्य में लापरवाही और असमय कई लोगों की मौत का जिम्मेदार भी टाटा कम्पनी का दोयम दर्जे का कार्य है। जिस पर गंभीरता नहीं बरती गई ।।।पेनल्टी के नाम पर सिर्फ नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी पीठ थपथपा ली जबकि उस पेनल्टी का कोई मतलब नहीं है ।।। 18 करोड़ की पेनल्टी का दावा किया जा रहा है जबकि उसमें से कई करोड़ की राशि रिलीज भी कर दी गई ,यही नहीं वह जब तक नगद राशि में तब्दील होकर नगर निगम के खाते में जमा नहीं हो जाती तब तक पेनल्टी का कोई मतलब नहीं है, टाटा कंपनी पर जो पेनल्टी लगाई गई है उस राशि का लेखा-जोखा हमें प्राप्त हो और उससे हम शहर विकास के दूसरे काम करेंगे तब कहीं जाकर टाटा कंपनी के जिम्मेदारों को कार्रवाई का एहसास होगा। गणेश चतुर्थी के आयोजन खत्म होने के बाद हम एक बार फिर बैठेंगे और इस बैठक का रिव्यू करेंगे जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई होगी,, हम चाहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में ही टाटा कंपनी के जरूरी कार्य खत्म हो जाए ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की राह प्रशस्त हो सके। @ जनता की अदालत,, संपादक प्रमोद व्यास,, मो, 860252 6457

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