नवरात्री में उज्जैन दर्शन का अलग ही महत्व है !

वैसे तो उज्जैन नगरी में हर पर्व बहुत धूम धाम से मनाये जाते है चाहे वो सावन उत्सव हो , श्राद्ध के दौरान उमा सांझी उत्सव , गणेश उत्सव आदि परन्तु उज्जैन दर्शन का नवरात्री में बहुत महत्व है ! माता हरसिध्दि महाकाल मंदिर के पास ही विराजित है ५२ शक्तिपीठ में से एक यह मंदिर है ! माता हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की कुल देवी भी है ! कहा जाता यही की सम्राट प्रतिदिन यंहा माता की पूजा करते थे और माता प्रकट हो कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती थी !

धर्म ग्रंथों के अनुसार माता सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ के रूप में उनकी उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में कुल 51 शक्तिपीठों की मान्यता है। इन सभी शक्तिपीठों की अपनी अलग-अलग विशेषता है। आज हम आपको मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में स्थित हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस स्थान पर माता सती को कोहनी गिरी थी।

रात को उज्जैन और दिन में गुजरात में वास करती हैं देवी

गुजरात स्थित पोरबंदर से करीब 48 कि.मी. दूर मूल द्वारका के समीप समुद्र की खाड़ी के किनारे मियां गांव है। खाड़ी के पार पर्वत की सीढिय़ों के नीचे हर्षद माता (हरसिद्धि) का मंदिर है। मान्यता है कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य यहीं से आराधना करके देवी को उज्जैन लाए थे। तब देवी ने विक्रमादित्य से कहा था कि मैं रात के समय तुम्हारे नगर में तथा दिन में इसी स्थान पर वास करूंगी। यहां प्रमुख आरती भी प्रात: 9 बजे होती है।

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