🚩हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरू पूज्य शंकराचार्य जी स्वरूपानंद सरस्वती का महाप्रयाण हो गया है। 🌴99 साल की उम्र में श्री शंकराचार्य गुरुवर ने दैहिक रूप में संसार त्याग किया। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे💢।मप्र के परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में शरीर त्याग किया। सोमवार शाम 5 बजे आश्रम में ही उन्हें समाधि दी जाएगी। उनके पार्थिव शरीर को मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल तक पालकी में रखा।पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।🚩 शंकराचार्य के अंतिम दर्शन के लिए लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. यहां भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है। 🌴जनता की अदालत मित्र मंडल द्वारा भी सिंहस्थ 2016 में फ्रिगंज से रुद्रसागर तक शंकराचार्य जी की निकली पेशवाई में धार्मिक प्रकल्प के अंतर्गत सेवा कार्य किए थे व श्रद्धालुओं को जलपान और ठंडाई का वितरण किया था। ⭐जिसमे मध्यप्रदेश ब्राह्मण बंधु संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे और महाराज श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया था। जनता की अदालत को मिली जानकारी के अनुसार गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर के ज्योतिर्लिंग के ऊपर रजत जड़ित रूद्रयंत्र सुस्थापित करने के लिए विद्वतजन ओर दानदाताओं की समिति बनाई गई थी,,,,⭐जिसमें उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर विनोद सेमवाल एवम तत्कालीन मन्दिर प्रशासक आनंद शर्मा ने रूद्रयन्त्र स्थापना के लिए चांदी एकत्रित कराने के लिए बहुतेरे प्रयास किये,,,🌐रुद्रयंत्र के लिए आख़री में 25 किलो चांदी की और आवश्यकता पड़ी तो तत्कालीन प्रशासक ने दर्जनों दानदाताओं से व्यक्तिगत निवेदन भी किया,,एक बड़े सेठ से चांदी लेने दिल्ली तक भी गए,,,👁️सेठ ने दिल्ली में आनंद शर्मा से कहा हाँ भई बताओ ??कितनी चांदी लगेगी आपके महाकाल को,,,,?????👀इतना सुनते ही आनंद शर्मा आगबबूला हो गए ,,,ओर सेठ से कहा कि ओ सेठ,,, महाकाल को नही चाहिए ,,🙏आपकी चांदी – वांदी ,,,तुमको लगे तो ,,देना हो तो दान करो,,,,इतना कहकर तत्कालीन मंदिर प्रशासक सेठ के घर से बाहर आ गए ,और ट्रेन पकड़कर उज्जैन ,,👣साथ में गए पंडित जी भी हक्के बक्के रह गए,,, 💤बाद में रहस्यमय ढंग से 25 किलो चांदी का दान आ गया। उज्जैन आये गुरुदेव विश्वात्मानंद जी महाराज ने मन्दिर प्रशासक आनंद शर्मा के निवेदन पर अगले ही दिन अचानक गर्भग्रह में चांदी का गट्ठर लाकर रख दिया और चांदी की सिल्लियों पर लगातार दूध चढ़ाते रहे,,,,🚩 ऐसी महिमा है बाबा महाकाल की ।।।।तो इस तरह रूद्र यंत्र का पुनीत धर्म कार्य संपन्न हुआ । यही रूद्र यंत्र अब जो गर्भगृह के वास्तु में जड़ा एक बहुमूल्य नगीना है।🚩 उज्जैयनी में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर का गर्भगृह ही वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। यह गर्भगृह अष्टकोणात्मक है। स्थापित किए गए रूद्रयंत्र में कुल 274 मंत्र है, जिसमें 10 मंत्र कोण के अंदर हैं, 💢जबकि 264 मंत्र चारों तरफ लगाए गए हैं। मंत्रों से अष्ट कोणों में निर्धारित स्थानों की पूर्ति होती है। इस तरह स्थापित हुए रूद्र यंत्र तथा मंत्रों में कुल 130 किलो चांदी का उपयोग हुआ है जो दानदाताओं के सहयोग से पूरा हुआ है। सोम सूत्र पर आधारित यह रूद्रयंत्र संपूर्ण होकर दिनांक 11 जुलाई 1997 को विधि विधान से शंकराचार्य स्वामी पूज्य श्री स्वरूपानंद जी सरस्वती के कर कमलों और मध्यप्रदेश शासन के प्रतिनिधि के रूप में तत्समय के प्रभारी मंत्री नरेन्द्र नाहटा की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रतिष्ठित हुआ।@ 🌴जनता की अदालत ।।उज्जैन ।।।संपादक।। 💢प्रमोद व्यास ।।📶।मोबाइल नंबर 86025 26457
महाकाल गर्भग्रह रुद्रयंत्र के साक्षी शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज
